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तेरी सौं – उत्तराखंड आंदोलन के मुजफ्फरनगर कांड पर आधारित उत्तराखण्डी फ़िल्म

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सन 2003 में निर्माता निर्देशक अनुज जोशी जी ने भी ,उत्तराखंड आंदोलन पर आधारित और मुख्यतः 2 अक्टूबर 1994 के मुजफ्फरनगर कांड पर आधारित उत्तराखंडी फ़िल्म तेरी सौं बनाई थी।

उत्तराखंड राज्य आंदोलन की पृष्ठभूमि पर बनी इस फ़िल्म में आंदोलन के समय ,उत्तराखंड के लोगों पर हुई बर्बरता का चित्रण बड़ी मार्मिकता से किया गया । इस फ़िल्म के निर्माता निर्देशक श्री अनुज जोशी स्वयं एक आंदोलनकारी रहे हुए हैं।

इस फ़िल्म में मुजफ्फरनगर कांड को एक काल्पनिक प्रेम कहानी के साथ जोड़कर बनाया गया है। इसमे उत्तराखंड आंदोलन में  सबसे छोटे शहीद सत्येंद्र चौहान का चरित्र भी दिखाया गया है। फ़िल्म के पहले भाग में मानव ( सक्षम जुयाल ) मानसी ( पूजा रावत ) की सुंदर प्रेम कहानी दिखाई गई है। जो सुंदर गढ़वाली , कुमाउनी  गीतों से सुसज्जित है। फ़िल्म के दुसरे भाग में तत्कालीन प्रदेश सरकार द्वारा किये गए जुल्मों को ,बड़ी मार्मिकता से पेश किया गया है। फ़िल्म की 60से 70 % भाषा हिंदी है। इसके अलावा इसमे  गढवाली और कुमाउनी भाषा का प्रयोग किया गया है।

उत्तराखंड संस्कृत मोर्चा के अनुभवी कलाकारों , रामेन्द्र कोटनाला , दुर्गा कुकरेती, रोशन धस्माना,रजनी डूकलान , कुलानंद घनश्याला, गिरीश सुंदरियाल , विनीत गैरोला ने बहुत अच्छा अभिनय किया है। या यूं कहें कि इस फ़िल्म को सशक्त किया है।

तेरी सौं का हिंदी में अर्थ होता है, तेरी कसम । इस फ़िल्म के लिए गढ़वाली गीत मदन डूकलान ने लिखे हैं। और कुमाउनी संस्करण के लिए हीरा सिंह राणा व हिंदी में बल्ली सिंह चीमा की कविता का प्रयोग किया गया है।

तेरी सौं
Teri saun , Uttarakhand film

तेरी सौं फ़िल्म में आलोक मालसी ने संगीत दिया है। इस फ़िल्म  में ,आलोक मालसी, नरेंद्र सिंह नेगी ,वीरेंद्र नेगी ,अनुराधा निराला, संगीत धौंढियाल , ने गढ़वाली गीत गाये हैं। हिंदी गीत के लिए संतोष पांडे ने अपनी आवाज दी है। कुमाउनी संस्करण में , हीरा सिंह राणा, अनिता नेगी, सत्य अधिकारी  कमलेश मिश्र ने आवाज दी है।

इस फ़िल्म के हीरो  सक्षम जुयाल और हीरोइन पूजा रावत ने अपनी भूमिकाओं के साथ पूरा न्याय किया है। निर्माता व निर्देशक अनुज जोशी ने इस फिल्म के माध्यम से जनभावनाओं को उकेरने में पूरी तरह कामयाबी हासिल की है।

तेरी सौं फ़िल्म कैसे देखें :-

तेरी सौं फ़िल्म ऑनलाइन देखने के लिए ,हम यहां इस फ़िल्म को दो भागों में लगा रहें है। 90 के दशक में कश्मीर के पंडितों पर हुए अत्यचार को दुनिया देख रही है। उत्तराखंड वासियों को भी, अपने पूर्वजों के साथ हुए अत्यचार की मार्मिक घटना से जुड़ी फ़िल्म को देखना चाहिए और अपने पूर्वजों के ,त्याग व बलिदान को महसूस करना चाहिए।

चूंकि यह फ़िल्म 2003 में बनी थी । उस समय की टेक्नोलॉजी के हिसाब से यह फ़िल्म काफी सशक्त थी। आज के हिसाब से थोड़ी कम हो सकती है। आप इस फ़िल्म में छुपे उत्तराखंड आंदोलनकरियों के दर्द को समझिए।

तेरी सौं फ़िल्म का भाग एक यहां देखे –

तेरी सौं फ़िल्म का दूसरा भाग यहां देखें …..

पाण्डवाज की रचनात्मक फ़िल्म “यकुलान्स ” देखने के लिए यहां क्लिक करें।

 

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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