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अस्वस्थ शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर सख्त कार्रवाई, तीन दिन में रिपोर्ट मांगी

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देहरादून: उत्तराखंड में शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के मुद्दे पर प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है। राज्य के शिक्षा मंत्री ने हाल ही में हुई एक विभागीय बैठक में इस मामले पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और अधिकारियों को तीन दिन के अंदर सभी जिलों से ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। पिछले कई वर्षों से शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे शिक्षकों को चिन्हित करने और अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जा रहे थे, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका ठीक से पालन नहीं हो रहा था। इससे कई स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही थी और ऐसे शिक्षक अपने स्थानांतरण के लिए दबाव बना रहे थे।

शिक्षा मंत्री के निर्देश के बाद अब सभी जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिले में ऐसे शिक्षकों की पहचान कर तीन दिन के अंदर शिक्षा विभाग को रिपोर्ट सौंपनी होगी। अगर किसी जिले में ऐसा कोई मामला नहीं है तो उसे इस बात का प्रमाण पत्र भी देना होगा।

क्या कहते हैं नियम?

सरकारी नियमों के अनुसार, शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ सरकारी कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त किया जा सकता है। यह नियम शिक्षकों पर भी लागू होता है। इस तरह की कार्रवाई से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और प्रशासनिक कार्य को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी।

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क्यों जरूरी है यह कदम?

  • शिक्षा की गुणवत्ता: अस्वस्थ शिक्षक छात्रों को ठीक से पढ़ा नहीं पाते हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  • प्रशासनिक कार्य: अस्वस्थ शिक्षक प्रशासनिक कार्यों में भी बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • अन्य शिक्षकों पर दबाव: ऐसे शिक्षक अन्य शिक्षकों पर भी स्थानांतरण के लिए दबाव बनाते हैं।

अगले कुछ दिनों में सभी जिलों से शिक्षकों की सूची आने के बाद शिक्षा विभाग इन मामलों पर अंतिम निर्णय लेगा। उम्मीद है कि इस कदम से राज्य के शिक्षा क्षेत्र में सुधार आएगा और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल पाएगी।

अस्वस्थ शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर सख्त कार्रवाई, तीन दिन में रिपोर्ट मांगी

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