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शुरू हो गया उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध पूर्णागिरि का मेला। मुख्यमंत्री जी ने किया शुभारम्भ।

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पूर्णागिरि मेला

उत्तराखंड का प्रसिद्ध पूर्णागिरि मेला 9 मार्च 2023 से शुरू हो गया है। यह मेला 9 जून 2023 तक चलेगा। उत्तराखंड के चम्पावत जिले में स्थित माँ पूर्णागिरि सिद्ध पीठ में प्रतिवर्ष मेला लगता है। विगत वषों में कोरोना महामारी के चलते यह मेला अपने पूरे रंग में नहीं चल रहा था। 2023 में पूर्णागिरि मेला अपने पुरे रंग में होगा। जानकारी के अनुसार मेले में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए छः मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति की गई है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर धामी ने किया पूर्णागिरि मेला का आगाज –

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने  पूर्णागिरि मेले का उट्घाटन किया।  इस सुअवसर पर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि, “यह मेरा सौभाग्य है कि आज इस पावन मेले के शुभारंभ पर मां के चरणों में शीश नवाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। ” उन्होंने कहा कि, “पूर्णागिरि मेला उत्तर भारत का प्रसिद्ध मेला है। इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु विभिन्न स्थानों से आते हैं। उन्हें प्रत्येक सुविधा उपलब्ध कराना उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारखंड के मंदिरों को विकसित करने के साथ ही हम मानसखंड कॉरिडोर को भी विकसित करने कि दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जिसके अंतर्गत गोलज्यू मंदिर, पाताल भुवनेश्वर, कोट भ्रामरी, देवीधुरा, कैंचीधाम सहित अनेक मंदिरों को चिह्नित किया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने समूह की महिलाओं द्वारा पूर्णागिरि धाम हेतु तैयार किए गए प्रसाद तथा उसे रखने हेतु “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” योजना के अंतर्गत पिरूल से बनाई गई टोकरी का भी शुभारंभ किया।  मुख्यमंत्री ने ककराली गेट, टनकपुर से मां पूर्णागिरि धाम तक यात्रा मार्ग में विद्युत विभाग द्वारा स्ट्रीट लाइट समेत मेले की व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन हेतु मंदिर समिति को अनुदान देने के साथ साथ अन्य घोषणाएं भी की।

शुरू हो गया उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध पूर्णागिरि का मेला। मुख्यमंत्री जी ने किया शुभारम्भ।

देवी के प्रमुख शक्तिपीठों में एक है, पूर्णागिरि मंदिर –

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माता सती ने आत्मदाह किया, तब भगवान शिव माता की मृत देह लेकर सारे ब्रह्मांड में तांडव करने लगे। सृष्टि में अव्यवस्था फैलने लगी। तब भगवान विष्णु ने संसार की रक्षा के लिए, माता सती की पार्थिव देह को अपने सुदर्शन चक्र से नष्ट करना शुरू किया। सुदर्शन चक्र से कट कर माता सती के शरीर का जो अंग जहाँ गिरा, वहाँ माता का शक्तिपीठ स्थापित हो गया। इस प्रकार माता के कुल 108 शक्तिपीठ हैं। इनमे से उत्तराखंड चंपावत के अन्नपूर्णा पर्वत पर माता सती की  नाभि भाग गिरा ,इसलिये वहाँ पूर्णागिरि मंदिर की स्थापना हुई।  विस्तार पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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