उत्तराखंड के जंगलों में तरह तरह की औषधीय वनस्पतियां हैं।जिनका प्रयोग करके हम खुद को स्वस्थ और तंदुरुस्त रख सकते हैं । उनमें से एक औषधीय वनस्पति है, लिंगड़ा जिसका सब्जी के रूप मर उपयोग करके हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर बीमारियों से बच सकते हैं। यह वनस्पति लिंगुड़ा ,लिंगड़ा, लिंगड और ल्यूड आदि नामों से जाना जाता है। आइये जानते हैं क्या है लिंगड़ा ? और इसके क्या लाभ हैं ?
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लिंगड़ा क्या है ?
लिंगड़ा ( Lingda ) एक जंगली वनस्पति है। जो उत्तराखंड तथा अन्य हिमालयी राज्यो में जंगलो एवं नमी वाले स्थानों, जैसे गधेरों के किनारे उगता है। लिंगुड़ा का वानस्पतिक नाम डिप्लॉज़िम एस्क्युलेंटम ( Diplazium esculentum ) है। यह Athyriaceae वर्ग का खाद्य फर्न है।
यह समस्त एशिया के पर्वतीय क्षेत्रों में नमी वाले स्थानों पर पाया जाता है। यह भारत के लगभग सभी हिमालयी राज्यो में पाया जाता है। इसको उत्तराखंड में लीगुड़ा, लीगड़ा , ल्यूड आदि नामों से जाना जाता है। इसे असम में धेनकिर साक, सिक्किम में निगरु, हिमांचल राज्य में लिंगरी, आदि नामो से जाना जाता है। दुनिया भर में लिंगड़ा की लगभग 400 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह समुद्रतल से 1900 से 2900 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है।
लिंगड़ा के फायदे –
भारत के हिमालयी राज्यो के नम क्षेत्रों स्वतः उगने वाली पहाड़ी बनस्पति फर्न लिंगुड़ा एक औषधीय गुणों से भरपूर खाद्य फर्न है। इसमें भरपूर विटामिन्स और मिनरल पाए जाते हैं। हिमालयन जैवप्रोधोगिकी (IHBT) पालमपुर के शोध के अनुसार अन्य डाक्टरों के अनुसार लिंगड़ा में कैल्शियम, पोटेशियम ,आयरन , प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और विटामिन सी ,विटामिन बी काम्प्लेक्स , मिनरल्स, जिंक आदि अनेको औषधीय गुण पाए जाते हैं। इनके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं ।
सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें फैट बिल्कुल नही होता हैं। इन्ही सभी गुणों से मिलकर यह एक सुपरफूड बन जाता है। इन गुणों के कारण हमको लिंगड़ा से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं।
1- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता लिंगड़ा या लिंगुड़ा
कोरोना काल मे जहाँ लोग कोरोना से बचने के लिए अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अनेको वस्तुएं खाद्य वस्तुये ढूढ़ रहे हैं। वही लिंगड़ा प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिरोधक गुणों से संपन्न है। रोग प्रतिरोधक बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग जिंक की और विटामिन सी की गोलियां खाने की सलाह दी जा रही हैं। वही लिंगड़ा में जिंक और विटामिन सी भरपूर मात्रा में मिलता है। और इसमे एंटीऑक्सीडेंट गुणो के होने के कारण सशक्त रोग प्रतिरोधक खाद्य बन जाता है।
2- कैंसर से रक्षा करता है लिंगड़ा या लिंगुड़ा
लिंगड़ा की कोमल डंठल में, एंटीऑक्सीडेंट गुणो की भरमार है। इस डंठल को पानी मे उबाल कर खाने से या इसकी सब्जी बना कर खाने से , कैंसर जैसी भयानक बीमारी से रक्षा होती है।
3 – मधुमेह दूर करता है लिंगड़ा –
मधुमेह की बीमारी के लिए लिंगुड़ा एक रामबाण इलाज है। लिंगडु कि सब्जी खाने से, डाइबिटीज की बीमारी में लाभ मिलता है।इसमे पाए जाने वाले विटामिन और मिनरल हमारे शरीर मे शुगर की मात्रा कम करते हैं। 2015 अफ्रीकन जनरल ऑफ फार्मेसी के लेख के अनुसार लिंगुड़ा में फ्लेवोनॉयड्स तथा स्टेरोल के कारण यह गुणो की खान बन गया है।
4- लिवर की समस्याओं में लाभदायक है लिंगुड़ा
आंतों की सूजन या लिवर की कमजोरी और अनेक लिवर समन्धित रोगों के लिए, लिंगुड़ा की डाँठल को हल्की आँच में उबाल कर लाभ मिलता है।
5 – त्वचा रोगों मे लाभदायक है लिंगड़ा –
त्वचा में होने वाली फोड़े फुंसियों एवं जख्म के लिए लिंगड़ा लाभदायक है। इसकी जड़ों को प्रभावित जगह पर लगाने से लाभ मिलता है।
6- लिंगुड़ा से गठिया और हड्डी रोग में लाभ मिलता है।
लिंगुड़ा में भरपूर कैल्शियम होने के कारण यह हड्डी रोगों में लाभदायक होता है । इसकी जड़ो को पीस कर गठिया वाले स्थान में लगाने से लाभ मिलता है। लिंगड़ा की सब्जी खून में शर्करा की मात्रा को ठीक करती है। जिससे जोड़ो के दर्द में लाभ मिलता है।
7 – उच्च रक्तचाप के लिए लाभदायक है लिंगुड़
लिंगड़ा में फैट और कैलेस्ट्रोल बिल्कुल नही होता है। इसलिए इसकी सब्जी उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए बहुत ही लाभदायक है।
आजीविका का साधन बन सकता है लिंगड़ा –
उत्तराखंड हिमालयी राज्य होने के कारण यहाँ औषधीय वनस्पतियां प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी अच्छी कीमत मिलती है, और इसकी अच्छी मांग भी है। इन्ही वनस्पतियों में से एक है , लिंगड़ा जो सभी औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमे विटामिन्स और मिनरल , प्रोटीन सभी तत्व भर भर के मिलते हैं।
लिंगुड़ा की खेती को स्वरोजगार के रूप में अपना कर ,राज्य के पलायन को रोकने में मदद मिल सकती है, तथा राज्य को आर्थिक मजबूती भी मिल सकती है। उत्तराखंड में लिंगड़ा के अनुकूल जलवायु है। बस जरूरत है, सरकार को इस क्षेत्र में युवाओं को आकर्षित करने की। लिंगड़ा की खेती स्वरोजगार का अच्छा विकल्प बन सकता है।
पहाड़ के युवावों ने इस क्षेत्र में कदम बढ़ा दिए हैं। पिछले साल के लॉकडौन में उत्तरकाशी के टीकाराम पंवार ने नौकरी छूटने के बाद घर आकर लिंगड़ा को अपनी आजीविका का सहारा बनाया । और लिंगुड़ा का अचार बना कर , 250 रुपये प्रति किलो बेचना शुरू कर दिया। टीकाराम पंवार लिंगुड़ा के अचार से आत्मनिर्भर बन गए हैं। बस अब जरूरत है,इस क्षेत्र में सरकार को क़दम बढ़ाने की । समस्त कुमाऊँ और गढ़वाल में टीकाराम जैसे बहुत युवा हैं, जो लिंगडु से आत्मनिर्भर बन सकतें हैं।
लिंगड़ा से बनने वाले उत्पाद –
इस वनस्पति फर्न से निम्न उत्पाद बनाए जाते हैं, या निम्न रूप में प्रयोग किया जाता है।
- लिंगुड़ा का प्रयोग से स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है, जो स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी होती है।
- इसकी तनों को हल्की आँच में उबाल कर औषधीय रूप में खाया जाता है।
- लिंगुड़ा का स्वादिष्ट अचार बनाया जाता है।
उपसंहार –
उत्तराखंड देवभूमि के साथ प्राकृतिक प्रदेश भी है। प्रकृति ने अपने अनमोल खजाने से उत्तराखंड को और उत्तराखंड वासियों को कई अनमोल चीजों से नवाजा है। प्रकृतिं हमारी हर समस्या का समाधान दिया है, लेकिन हम आधुनिक बनने के चक्कर मे, प्रकृति का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रकृति को नुकसान दे रहे हैं।जिसका असर उल्टा हमको ही हो रहा है। जैसे गर्मी बरसात के मौसम में बीमारियां अधिक बढ़ जाती हैं। और इसके लिए हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रकृति ने हमको लिंगड़ा नामक वनस्पति दी है।
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