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हल्द्वानी में पहली बार होने जा रहा है महिला रामलीला का मंचन

Haldwani me mahila Ramleela

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हल्द्वानी में महिला रामलीला – कुमाऊँ के सबसे बड़े आर्थिक, शैक्षिक, व्यापारिक एवम आवासीय केंद्र यानी “कुमाऊँ के प्रवेश द्वार” कहे जाने वाले हल्द्वानी में पहली बार होने जा रहा है महिला रामलीला का मंचन। जी हां साथियों इस बार की रामलीला में समस्त किरदार, भगवान राम, लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न व रावण सहित सभी किरदार महिलाओं द्वारा निभाये जा रहे हैं। 2 अप्रैल 2023 से प्रतिदिन शाम 5 बजे से 8 बजे तक लोग इस रामलीला का आनंद उठा पाएंगे। कुमाऊ में रामलीला का मंचन बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है, यहां हर साल हजारों जगहों पर रामलीला होती है इन रामलीला में हल्द्वानी, अल्मोड़ा और नैनीताल की रामलीला सबसे प्रसिद्ध है।

हालांकि कुमाऊं के इतिहास में यह पहली बार नहीं है कि जहां महिलाओं द्वारा रामलीला का मंचन किया जाएगा इससे पहले भी कई बार रामलीला का मंचन कई शहरों में हुआ है लेकिन हल्द्वानी के इतिहास में उत्थान मंच में यह पहली बार है जो यहां के लोगों के लिए एक अलग अनुभव होगा। आपको बता दें कि उत्थान मंच में होने वाली इस महिला रामलीला का मंचन पुनर्नवा महिला समिति के तत्वाधान में हो रहा है। 2 अप्रैल 2023 से 11 अप्रैल तक चलेगा।

हल्द्वानी में महिला रामलीला
हल्द्वानी में महिला रामलीला

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हल्द्वानी में महिला रामलीला का कार्यक्रम इस प्रकार होगा-

  • रविवार दिनाँक 2 अप्रैल 2023- नारद मोह, रावण, कुम्भकर्ण एवं विभीषण को वरदान।
  • सोमवार दिनाँक 3 अप्रैल 2023- श्री राम जन्म एवं ताड़िका वध।
  • मंगलवार दिनाँक 4 अप्रैल 2023- सीता स्वयंवर एवं परशुराम- लक्ष्मण संवाद।
  • बुधवार दिनाँक 5 अप्रैल 2023-श्री राम वनवास एवं श्रीराम- भरत मिलाप।
  • गुरुवार दिनाँक 6 अप्रैल 2023- सूर्पनखा नासिका छेदन, खर-दूषण वध एवं सीता हरण।
  • शुक्रवार दिनाँक 7 अप्रैल 2023- श्री राम- सुग्रीव मैत्री एवं बाली वध।
  • शनिवार दिनाँक 8 अप्रैल 2023- लंकादहन।
  • रविवार दिनाँक 9 अप्रैल 2023- अंगद- रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति एवं लक्ष्मण जागृति।
  • सोमवार दिनाँक 10 अप्रैल 2023- कुम्भकर्ण वध एवं मेघनाद वध।
  • मंगलवार दिनाँक 11 अप्रैल 2023- अहिरावण वध, रावण वध एवं श्रीराम राज्याभिषेक।
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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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