चमोली गढ़वाल के गौचर नामक नगर में लगने वाला यह ऐतिहासिक मेंला उत्तराखंड का औधोगिक मेला के नाम से भी प्रसिद्ध है। अलकनंदा नदी के किनारे बसा रमणीय स्थल गौचर समुद्रतल से लगभग 8000 मीटर उचाई पर स्थित है। गौचर बद्रीनाथ जाने वाले मार्ग पर पड़ने वाला विशाल मैदानी हिस्सा है। यहाँ प्रतिवर्ष 14 नवंबर से 20 नवंबर तक यहाँ प्रसिद्ध गौचर मेला आयोजित किया जाता है। यह मेला व्यापारियों और पहाड़ के लोगों के लिए एक विशेष आकर्षण है। गौचर में एक हवाई अड्डा भी है, जिसका निर्माण 1998 -2000 में किया गया था।
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गौचर मेला कब शुरू हुवा –
यह प्रसिद्ध मेला भारत और तिब्बत के मजबूत व्यापारिक संबंधो परिचायक इस मेले के बारे में बताया जाता है कि माणा घाटी के प्रसिद्ध व्यपारी और जनप्रतिनिधि बाल सिंह पाल और और पान सिंह बम्फाल व् गोविन्द सिंह राणा ने इस प्रकार के इस आद्योगिक मेंले का आयोजन करने की इच्छा प्रसिद्ध समाज सेवी गोविन्द प्रसाद नौटियाल के सामने रखा। उसके बाद तत्कालीन अंग्रेज कमिश्नर मिस्टर बर्नाडी ने 1943 में इस मेले का शुभारम्भ किया। उस समय यहाँ तिब्बत के व्यपारी अपना सामान बेचने के लिए आते थे। गौचर का मेला भारत और तिब्बत के व्यापारिक संबंधो का प्रमुख पड़ाव था। 1962 में चीन द्वारा तिब्बत का अधिग्रहण कर लिए जाने के बाद ,भारत और तिब्बत का व्यपार बंद हो गया। गौचर मेला उसके बाद औद्योगिक और सांस्कृतिक मेले के रूप में स्थापित हो गया जो आज भी प्रतिवर्ष आयोजित होता है।
गौचर मेला के प्रमुख कार्यक्रम –
यह मेला सांस्कृतिक के साथ उद्योग ,व्यापार के समन्वय के कारण उत्तराखंड के प्रसिद्ध मेलों में गिना जाता है। इस मेले में रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की दुकान के साथ शाशन, प्रसासन के स्टाल ,स्वस्थ पंचायत ,सहकारी समितियों के स्टाल या दुकाने लगाई जाती हैं। कृषि पर्यटन आदि विषयों पर विचार गोष्ठिया रखी जाती हैं। और मेले में सांस्कृतिक मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
गौचर मेला कैसे पहुंचे –
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित गौचर नामक नगर राष्ट्रीय ररजमर्राजमर्ग राजमार्ग पर स्थित है। देहरादून ,ऋषिकेश के रस्ते सड़क मार्ग द्वारा यहाँ आसानी से पंहुचा जा सकता है। गौचर का निकटम रेल् स्टेशन ऋषिकेश है , जो कि 163 किमी दूर है। और यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट है जो गौचर से 180 किमी दूर है।
उपसंहार –
उत्तराखंड के पहाड़ी समाज में मेलों का बहुत महत्व है। यह मेले एक खुशनुमा समय बिताने और लोगों से मुलाकात करने का बहुत बड़ा अवसर होते हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के विभिन्न संस्कृति और विचारों के प्रमुख मिलान स्थल होते हैं।
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” ऊचेण ” एक ऐसी भेंट जो कामना पूरी होने के लिए देवताओं के निमित्त रखी जाती है।
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