Home राज्य उत्तराखंड की प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करने वालों को मिलेगा यह कठोर...

उत्तराखंड की प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करने वालों को मिलेगा यह कठोर दंड।

0
उत्तराखंड में नकल विरोधी
उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून 2023

उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिए, उत्तराखण्ड प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश 2023 को अनुमोदन प्रदान किया गया है। उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून लागू होने के दिन से प्रभावी होगा। उत्तराखंड की प्रतियोगिता परीक्षाओं में अनुचित साधनों का करने वालों के खिलाफ दंड का प्रावधान इस प्रकार है –

  •  कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास की सजा तथा 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • अगर कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो ,उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोष सिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।
  • यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस
    वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।
  • अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की की जायेगी।
  • इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं अशमनीय होगा।

उत्तराखंड में नकल विरोधी

 

इन्हे भी पढ़े _

उत्तराखंड का नामकरण के पीछे पौराणिक कहानी

‘ निशाण ‘ उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति के प्रतीक ऐतिहासिक ध्वज !

कॉमन पीकॉक तितली – उत्तराखंड की राज्य प्रतीक तितली

हमारे व्हाट्सप ग्रुप से जुड़े , यहाँ क्लिक करें।

 

Previous articleखुदेड़ गीत गढ़वाल के अन्यतम कारुणिक गीत ।
Next articleउत्तराखंड की लोक कलाएं, उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति की पहचान
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

Exit mobile version