पहाड़ो में बसंत के आगमन  प्रतीक माना जाता है ये फूल.इसका नाम है प्योली फूल। यह फूल हिमालयी संस्कृति में रचा बसा है।

फ्योंली फूल का वानस्पतिक नाम ( Botanical name: Reinwardtia indica ) रेनवर्डटिया इंडिका है। इसे Yellow flax और गोल्डन गर्ल ( golden girl ) भी कहते हैं।

उत्तराखंड के लोक गीतों में सुंदरता का प्रतीक के रूप में इस प्योंली के फूल को जोड़ा जाता रहा है। फूलदेई में  विशेषकर इस फूल का प्रयोग किया जाता है।

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इस फूल   लोककथा प्रचलित है। 

कहते हैं पहाड़ में प्योंली नामक एक वनकन्या रहती थी। वह जंगल मे रहती थी। जंगल के सभी लोग उसके मित्र थे। उसकी वजह जंगल मे हरियाली और सुख समृद्धि थी।

एक दिन एक देश का राजकुमार उस जंगल मे आया,उसे फ्योंली  से प्यार हो गया और  वह राजकुमार उससे शादी करके अपने देश ले गया। फ्योंली (Pyoli flower ) को अपने ससुराल में मायके की याद आने लगी।

फ्योंली की सास उसे  बहुत परेशान करती थी।  उसकी सास उसे मायके जाने नही देती थी। फ्योंली अपनी सास से और अपने पति से उसे मायके भेजने की प्रार्थना करती थी। मगर उसके ससुराल वालों ने उसे नही भेजा।

मायके की याद में  तड़पकर एक दिन फ्योंली  मर गई ।  जहां पर प्योंली को दफ़नाया गया था, उस स्थान पर एक सुंदर पीले रंग का फूल खिल गया था। उस फूल का नाम प्योली रख दिया। 

प्योली फूल का वैज्ञानिक नाम रीनवर्डटिया इंडिका हालैंड के प्रसिद्ध वनस्पतिज्ञ केस्पर जार्ज कार्ल रीनवर्डट् के नाम पर पड़ा। इसे  येल्लो फ्लैक्स और गोल्डल गर्ल भी कहते हैं। फ्योंली एक ऐसा फूल है जो पहाड़ की स्थानीय  संस्कृति में रचा-बसा है।

पहाड़ों में प्योंली का खिलना बंसन्त के आने की सूचना देता है तो कवियों के लिए उनकी रचना का विषय भी देता है। जिसकी सुन्दरता से कवि अपनी कविता की रचना करते हैं। प्योली फूल के बारे में अधिक जानने के लिए learn more पर क्लिक करें।