कंगनी भारत मे नागालैंड और दक्षिण भारत के छत्तीसगढ़ आदि क्षेत्रों में प्रमुख अनाज के रूप में उगाया जाता है। और प्रयोग किया जाता है। उत्तराखंड और देश के कई हिस्सों में भी यह अनाज उगाया जाता है।
कंगनी मोठे अनाज के श्रेणी में आता है। अंग्रेजी में इसे foxtail millets कहते हैं। यह मुख्य तह चीन का अनाज है। इसका सेवन करने से कई फायदे होते हैं। जिसके बारे में आगे की स्लाइड्स में बताया गया है।
कंगनी में आयरन कैल्शियम अच्छी मात्रा में होने के कारण यह अनाज हड्डियों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
कंगनी के सेवन से शरीर मे नर्वस सिस्टम की समस्या में लाभ मिलता है। कंगनी अनाज में फाइबर अधिक होने के कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी अनाज है।
सुपाच्य होने के कारण वजन कम करने में सहायक है , कंगनी अनाज । कंगनी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट की वजह से यह अनाज कैन्सर से लड़ने में सहायक है।
वैसे तो यह एक पौष्टिक भोज्य है । किंतु अत्यधिक प्रयोग करने और सही प्रयोग न करने से कुछ नुकसान हो सकते हैं । जो अमूमन सभी मे होता है। .........
कंगनी को पकाने से पहले लगभग 6 घंटे भीगना आवश्यक है। नही तो पाचन की समस्या हो सकती है। इसका अत्यधिक प्रयोग से थायराइड कि समस्या हो सकती है।
कार्बोहाइड्रेट67 mg,प्रोटीन12.30 gm,फैट4.30 gm,आयरन2.8 gm,एनर्जी331 kcl,फाइबर8 gm ,कैल्शियम3 gm ,फास्फोरस290 mg, ग्लाइसेमिक इंडेक्स52, ग्लाइसेमिक लोड32
नोट :- यह लेख केवल शैक्षणिक माध्यम के लिए है। इस उत्पाद का औषधीय प्रयोग से पहले परिशिक्षित विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।