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PRSI देहरादून चैप्टर ने छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री का किया सम्मान

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PRSI देहरादून चैप्टर ने छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री का किया सम्मान

देहरादून: पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI) के देहरादून चैप्टर ने हाल ही में रायपुर में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा का सम्मान किया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री को केदारनाथ का प्रतीक चिन्ह, ब्रह्मकमल की टोपी और उत्तराखण्ड के विकास पर आधारित एक पुस्तिका भेंट की गई। 20 से 23 दिसंबर तक रायपुर में आयोजित होने वाले पीआरएसआई के राष्ट्रीय अधिवेशन में देहरादून चैप्टर के सदस्य भी भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम में पीआरएसआई देहरादून चैप्टर के अध्यक्ष श्री रवि बिजारनियां, सचिव श्री अनिल सती, कोषाध्यक्ष श्री सुरेश भट्ट और उपाध्यक्ष श्री एएम त्रिपाठी ने उपमुख्यमंत्री का अभिनंदन किया।

उपमुख्यमंत्री जी को बताया गया कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर चार धाम के शीतकालीन प्रवास स्थलों के लिए शीतकालीन यात्रा शुरू की गई है। इस पर श्री विजय शर्मा को उत्तराखण्ड में शीतकालीन यात्रा के लिए आमंत्रित किया गया।

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने इस सम्मान के लिए पीआरएसआई का आभार व्यक्त करते हुए उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की सराहना की। उन्होंने उत्तराखण्ड में बिताए गए दिनों की यादें साझा करते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति हर देशवासी के मन में अपार श्रद्धा है।

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कार्यक्रम के दौरान उत्तराखण्ड के विकास कार्यों पर आधारित एक फिल्म का प्रदर्शन किया गया, साथ ही उत्तराखण्ड के सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित विकास पुस्तिका “संकल्प सतत विकास का” भी वितरित की गई।

ब्रह्मकमल टोपी, जो उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का प्रतीक मानी जाती है, ने इस अधिवेशन में खास पहचान बनाई। पीआरएसआई देहरादून के सभी सदस्यों ने इस टोपी को पहनकर अधिवेशन में भाग लिया और अन्य राज्यों के प्रतिभागियों को भी ये टोपी भेंट की। इस टोपी के डिजाइन में खूबसूरती से उकेरे गए ब्रह्मकमल ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

इस अवसर पर पीआरएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजीत पाठक, और देहरादून चैप्टर के सदस्य वैभव गोयल, अनिल वर्मा, अजय डबराल, महेश, दीपक कुमार, ईशान, काजल भी उपस्थित थे।

यह कार्यक्रम न केवल उत्तराखण्ड की संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक मंच था, बल्कि यह विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।

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