काफल पाको मै नि चाखो
एक ऐसी चिड़िया की मार्मिक कहानी जो हर गर्मी में कहती है ,काफल पाको ,मै नि चाखो।
उत्तराखंड की लोक कथा
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रात को ओखली में भूत
एक ऐसी गढ़वाली और कुमाउनी लोक कथा ,जिसमे एक पहाड़ी महिला का ओखली में भूत से आमना -सामना होता है
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चल तुमड़ी रही बात ,
मी के जानू तेरी बुढ़ियाक बात
एक चालाक बुढ़िया की कुमाउनी लोक कथा जिसमे वह जगल के जानवरों से बड़ी चालाकी से निपटती है।
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सिदुवा -बिदुवा की कहानी
गढ़वाल के दो वीर रमोल भाइयों की वीर गाथा की कहानी ,रोमांच और सहः से भरी कहानी जरूर देखें
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ऐरी देवता की कहानी
कुमाऊं के एक शक्तिशाली देवता की कहानी जिसे अर्जुन के बराबर धनुर्धारी माना जाता है।
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तीन तीतरी तीन गाने वाली चिड़ियाँ की मार्मिक कथा
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क्यों निकालती है ,पहाड़ो में तीन तीतरी तीन का मार्मिक स्वर ?
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अल्मोड़ा क्षेत्र के शक्तिशाली लोक देवता गंगनाथ देवता और भानुमति की प्रेम कहानी
अल्मोड़ा क्षेत्र के शक्तिशाली लोक देवता गंगनाथ देवता और भानुमति की प्रेम कहानी
गंगनाथ देवता भाना की एक स्वपन पुकार पर अल्मोड़ा आ गए
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पहाड़ी गीतों में तीले धारू बोला की तुक- बंदी गायी जाती है।
तीले धारो बोला गाने के पीछे छुपी है ,एक ऐतिहासिक कहानी , जिसे आप यहाँ कहानी पर क्लीक करके देख सकते हैं।
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चीड़ के पेड़ को श्राप कैसे मिला ?
कहते हैं चीड़ के पेड़ को माँ गौरा का श्राप मिला है। वो श्राप क्या है ? और क्यों मिला ?
अल्मोड़ा विश्वनाथ घाट के भूत और अनेरिया गावं वालों की कहानी
आखिर क्यों डरते थे भूत वो भी एक खास गावं से। जानिए इस लोक कथा में ..
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