यह रमणीय घाटी उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले में 4752 मी. की उचाई पर अल्मोड़ा से 39 किमी और द्वाराहाट से 32 किलोमीटर दूर स्थित है।
पर्वतीय श्रंखलाओं के मध्य यह घाटी बड़ी ही सूंदर और रमणीक लगती है। इसका नाम सोमेश्वर यहाँ स्थित पौराणिक शिव मंदिर के आधार पर रखा है।
इस मंदिर के बारे में कहाँ जाता है कि ,इसे राजा सोमचन्द ने बनाया था। यहाँ पर की गई पूजा कशी विश्वनाथ में की गई पूजा के बराबर फलदाई होती है।
यह घाटी सैलानियों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। खूबसूरत नज़ारा और शांत वातावरण में घूमने के लिए यह एक परफेक्ट जगह है।
यह अल्मोड़ जिले की बेहद उपजाव घाटी में स्थित है। कौसानी के समीप उच्च शिखर भटकोट से निकलने वाली कोसी नदी इस घाटी के बीच से होकर बहती है।
1 - सोमेश्वर व्यू पॉइंट - कहते हैं यहाँ से पूरा सोमेश्वर दिखता है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा मस्त दीखता है।
जाल धौलर सोमेश्वर में स्थित एक छोटा सा गांव है जो ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है। यह गांव अपनी खूबसूरती और कई अलौकिक दृश्यों के लिए भी काफी लोकप्रिय है।
इसके अलावा आप यहाँ नेचर वाक , ट्रैकिंग ,नेचर फोटोग्राफी का आनंद ले सकते हैं। यह घाटी अपनी सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
पिलग्रिम’ नाम से लिखने वाले अंग्रेज घुम्मकड़ पी. बैरन ने अपनी किताब ‘पिलग्रिम्स वण्डरिंग्स इन द हिमाला’ में सोमेश्वर घाटी की खुले दिल से तारीफ की है।
पी बैरन इसे एशिया की सबसे सुंदरतम घाटियों में एक मानते हैं। वे कहते हैं कि ऐसी उपजाऊ और सूंदर घाटी मैने पहाड़ों में कहीं नहीं देखी।