आज उत्तराखंड की पहाड़ी संस्कृति ,पहाड़ को अगर बचाना है और उत्तराखंड को समृद्ध बनाना है  तो ,उत्तराखंड के पहाड़ी निवासियों को अपनी कुछ आदतें बदलनी होंगी

हिमालयी क्षेत्र के हिमाचल राज्य के नागरिकों ने अपने व्यवहार और आदतों में परिवर्तन करके अपने राज्य को समृद्धि की ओर मोड़ दिया है। और अब यही व्यवहारिक परिवर्तन की आवश्यकता उत्तराखंड के पहाड़ियों को है। 

उत्तराखंड के प्रथम मूल निवासी खस माने जाते हैं। कहते हैं खसो का विशेष व्यवहार उनकी सबसे बड़ी कमी थी। और यही आदतें आज के पहाड़ी समाज के अंदर भी मिलती हैं। 

आइये जाने आखिर उत्तराखंड के पहाड़ियों की वो कौन सी आदते हैं जिन्हे बदल के उत्तराखंड भी हिमाचल के जैसे मजबूत राज्य बन सकता हैं।

हद से ज्यादा सीधापन -

उत्तराखंडी पहाड़ी मूल के लोगो के अंदर चतुराई की बहुत कमी होती है। पहाड़ के लोग अत्यधिक सीधे होते हैं।

पहाड़ी लोगो के इस सीधेपन का फायदा बाहरी लोग उठाते हैं। और उन्हें नुकसान करते हैं। इसलिए हमे अत्यधिक सीधेपन से बचना होगा।

ईमानदार और शांतिप्रिय -

पहाड़ के निवासी ईमानदार और शांतिप्रिय होते हैं। ईमानदार तो ठीक लेकिन अत्यधिक शांतिप्रिय होना पहाड़ियों के लिए नुकसानदायक है।

पहाड़ी लोग  बहुत ज्यादा जरुरत पड़ने पर ही अग्रसिव होते हैं वो भी थोड़े समय के लिए। जबकि आगे बढ़ने के लिए  एक अनुशासित आक्रमकता की आवश्यकता होती है। 

खुद के लिए कम दूसरों के लिए ज्यादा जीना -

 पहाड़ के लोगो कीआदत होती है। खुद के लिए कम जीते हैं और दूसरों के लिए ज्यादा जीते हैं। जबकि इसका संतुलन होना चाहिए।

 एकता की कमी -

पहाड़ी लोगो में एकता की कमी सबसे बड़ी कमी होती है। ये दूसरो के लिए जान छिड़कते हैं लेकिन अपने साथ वालों को आगे बढ़ता नहीं देख सकते।

हमे लगता है यदि उत्तराखंड के पहाड़ी लोग इन आदतों को सुधारे तो संभव है उत्तराखंड भी हिमाचल राज्य की तरह समृद्धि की राह पर चल पड़ेगा।