आज आपको उत्तराखंड के एक ऐसे मंदिर के बारे बताने जा रहे हैं , जहाँ भारत राष्ट्रपति भवन से चढ़ावे के रूप में नमक आता है।
महासू देवता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर ,उत्तराखंड हिमाचल सीमा पर जौनसार बावर क्षेत्र में है। महासू देवता को भगवान् शिव का एक रूप माना जाता है।
हनोल महासू देवता मंदिर का निर्माण हूण राजवंश के पंडित मिहिरकुल हूण ने करवाया था। यह मंदिर हूण स्थापत्य शैली का शानदार नमूना हैं।
बासक, पिबासक,बौठा, चलदा इन चार भाइयों को और माता देवलाड़ी को सामूहिक रूप से महासू कहा जाता है। महासू का अर्थ महान शिव होता है।
महासू देवता को न्याय का देवता माना जाता है। महासू देवता मंदिर हनोल को न्यायालय की उपाधि भी मिली हुई है।
महासू देवता के देवालय हनोल में प्रतिवर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष को हरतालिका तीज पर विशाल जागड़ा पर्व मनाया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
महासू देवता मंदिर का भारत के राष्ट्रपति भवन से विशेष नाता है। राष्ट्रपति भवन की ओर से यहां हर साल भेंट स्वरूप नमक भेजा जाता है।
महासू मंदिर हनोल के परिसर में सीसे के दो गोले मौजूद हैं, जो भीम की ताकत का अहसास कराते हैं। मान्यता है कि भीम इन गोलों को कंचे के रूप में इस्तेमाल किया करते थे।
इनके बारे में कहा जाता है कि यदि आप इन्हे सच्चे मन से उठता है उससे उठ जाते हैं। और जो अहंकार भाव से उठाता है उससे नहीं उठते हैं।
हनोल स्थित मंदिर चारों महासू भाइयों का मुख्य मंदिर है। इस मंदिर में मुख्य रूप से बौठा महासू की पूजा होती है। यहाँ जाने के लिए देहरादून हिमाचल से जा सकते हैं।