प्रस्तुत लेख में सांकलित है अल्मोड़ा के प्रसिद्ध विश्वनाथ घाट के बारे रोचक जानकारी और इस जानकारी के साथ विश्वनाथ घाट के भूतों और अनेरिया गावँ के लोगो की रोचक लोककथा।”
विश्वनाथ घाट अल्मोड़ा उत्तराखंड के बारे में :- उत्तराखंड अल्मोड़ा -लमगड़ा मार्ग पर भगवान शिव का विश्वनाथ मंदिर है। और यहीं स्थित है सारे देश मे सबसे विशिष्ट घाटों में से एक विश्वनाथ घाट । इस घाट की सबसे बड़ी विशेषता यह है,कि यहाँ सूर्यास्त के बाद भी शव जलाए जाते हैं। जबकि हिन्दू धर्म मे सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करना मना है। किंतु काशी के मणिकर्णिका घाट और हरिश्चन्द्र घाट व अल्मोड़ा के विश्वनाथ घाट इसका अपवाद हैं।
कहा जाता है, कि अल्मोड़ा विश्वनाथ घाट ,कब बना और किसने बनाया आज तक पता नही लग पाया। इसलिए लोग मानते हैं कि यह घाट स्वयं भगवान शिव ने बनाया है । और स्वयं भगवान भोलेनाथ इस घाट पर औघड़ रूप में रहते हैं। इस घाट पर जिसका भी दाह संस्कार होता है, उन्हें मोक्षप्राप्ति होती है। कहा जाता है, कि भगवान शिव घाट पर औघड़ रूप में मृतक के कान में , मुक्ति का तारक मंत्र देते हैं। यहां शव की चिता को ठंडी करने के लिए 94 लिखा जाता है।
कहते हैं कि काशी के मणिकर्णिका घाट की तरह अल्मोडा का विश्वनाथ घाट भी भगवान शिव ने स्वयं निर्माण कराया था। यहाँ विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव विश्वनाथ रुप में तथा माता पार्वती अनपूर्णा के रूप में विराजती है।
अनेरिया गाँव वाले और विश्वनाथ घाट के भूतों कहानी ( Pahadi bhoot ki kahani ) ||Pahadi ghost story
अल्मोड़ा विश्वनाथ घाट जितना ज्यादा प्रसिद्ध है। उससे भी कई गुना अधिक प्रसिद्ध है ,इस घाट के भूतों की कहानी । वैसे तो सभी श्मशान घाटों पर भूतों का डेरा रहता है, चुकी ये रात होते ही जाग्रत हो जाते हैं, इसलिए रात को घाटों पर जाने की मनाही रहती हैं। औऱ कहते हैं सभी घाटों की तरह विश्वनाथ घाट पर भी उत्पाती ,और परेशान करने वाले भूतों की टोली रहती थी।
एक बार अमावस्या की रात की बात थी। विश्वनाथ घाट अल्मोड़ा के भूत जाग्रत हो गए थे। उन्होंने सारे घाट परिसर में उधम मचाया हुवा था। पहले जमाने मे गाड़ी की सुविधा नही थी। अगर थी तो केवल जिला मुख्यालय या रानीख़ेत बाजार तक थी। वहां से लोगों को अपने गावँ पैदल ही जाना पड़ता था। उसी अमावस्या की रात को अनेरिया गाँव का एक ग्रामीण जिसका नाम कीर्ति अनेरिया था। वह अल्मोड़ा से अपने गाँव अनेरिया कोट जा रहा था। अनेरिया कोट गाँव सुयाल नदी की दूसरी तरफ पड़ता है। अल्मोड़ा से अनेरिया गावँ जाने के लिए रास्ते मे विश्वनाथ घाट भी पड़ता है । कीर्ति अनेरिया को पता था कि विश्वनाथ घाट अल्मोड़ा पर भयकर भूत भी रहते हैं। इसी चक्कर मे वो बहुत तेज तेज चल रहा था। उधर विश्वनाथ घाट पर ,अमावस्या की रात को उधम मचाया हुवा था। उनका नाच कूद चल रहा था। भूतों का जो सरदार था , उसकी लंबी लंबी लटे थी। वह लोगो को फसाने के लिए अपनी लटों का प्रयोग करता था। कीर्ति अनेरिया धारानोला से नीचे उतरा ,और विश्वनाथ घाट के आस पास पहुँच गया तो ,उसने दूर से देखा घाट में खूब हल्ला हो रहा था। वो समझ गया घाट के भूत जाग्रत हो गए हैं। अब उसे सुयाल नदी के उस पार अपने गावँ अनेरिया कोट जाना था। उसकी हालत पतली हो गई । ( pahadi ghost story )वो मन ही मन बुदबुदाया , “हे म्यार इष्टों अब मि घर कसी जु! आज लागी म्यर नाना कें किलमोई ” ( हे भगवान अब मैं घर कैसे जाऊं, लगता है आज मेरे बच्चे लावारिस होने वाले हैं ) । फिर अचानक उसके पैरों में किसी चीज का अहसास हुआ। उसने देखा कि लंबी लंबी लटें उसके पैरों के आस पास हैं, और वो बस उनमें उलझने वाला ही था,कि सम्हल गया।उसे याद आया कि विश्वनाथ घाट पर जो बड़ा भूत है ,उसकी लंबी लटे हैं और वो लटों से ही लोगों को दूर से लपेट लेता है। कीर्ति अनेरिया ने हिम्मत दिखाई और ,भूत की लटों को लपेटते हुए आगे बढ़ता गया ,और उसने अचानक उस बढ़े भूत को ,उसके ही लटों में लपेट दिया । और भूतों के नेता को अपने कवर में ले लिया। अचानक हुए इस हमले में भूत हड़बड़ा गए। उनको पता ही नही चला कि कब उनका नेता अनेरिया गावँ के ग्रामीण कीर्ति अनेरिया के चंगुल में फस गया। (pahadi bhoot story )
सारे भूत अपने सरदार को कीर्ति अनेरिया के कब्जे में देख कर हक्का बक्का रह गए। उन्होंने कीर्ति से बोला कि हमारे सरदार को छोड़ दे। लेकिन कीर्ति नही माना। फिर भूतों ने पूछा , बताओ हम तुम्हे खुश करने के लिए ,ऐसा क्या करें कि तुम हमारे सरदार को छोड़ दो।
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तब कीर्ति अनेरिया ने कहा कि मेरे गाँव अनेरिया कोट में गोबर खाद पहुचा दो। और मेरे सारे गाँव वालों के खेतों की गुड़ाई का काम पूरा कर दो। भूतों के सरदार और विश्वनाथ घाट के समस्त भूतों ने कीर्ति अनेरिया को वचन दिया कि वे इस कार्य को एक रात में पूरा कर देंगे।
भूतों से वचन लेकर कीर्ति अपने गावँ चला गया। अगले दिन कीर्ति सुबह उठा तो, गाँव का दृश्य देखकर उसका सिर चकरा गया । गाँव मे यत्र तत्र गोबर की खाद बिखरी हुई थी। गावँ के खेतों में मडुवे और अन्य फसलों के पौधें उल्टे लगे हुए थे। मतलब जड़ ऊपर और टूक ( पौधे का ऊपर का भाग ) नीचे लगा रखा था। सारे ग्रामीण एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे। उनकी समझ मे नही आ रहा था ये क्या हुवा करके। ( Pahadi bhoot ki kahani )
कीर्ति अनेरिया मन ही मन बुदबुदाया, ठीक कहते हैं, लोग कि ये भूत सारे काम उल्टे करते हैं। उसे बहुत गुस्सा आया वो फिर रात को विश्वनाथ घाट गया । वहाँ उसने भूतों के सरदार को फिर पकड़ा ,उससे कहा तुमसे मैंने क्या करने को कहा था। क्या कर दिया ! सारा काम उल्टा कर दिया। तब भूतों के सरदार ने कहा कि भूतों को जैसा आता था,उन्होंने वैसा कर दिया। अब मैं तुम्हे भूतों को नियंत्रित करने की विद्या बताऊंगा। उससे तुम उनको काम सीखा दो,फिर वो सही काम कर देंगे। (pahadi bhoot ki kahani )
भूतों के सरदार ने कीर्ति अनेरिया भूत नियंत्रित करने की विद्या बता दी। इस विद्या से उसने भूतों को खेती का काम सिखाया और उनसे खूब काम लिया। अब भूत कीर्ति अनेरिया और अनेरिया कोट के गाँव वालों से डरने लगे। क्योंकि वो उनसे खूब काम करवा लेते थे। और उनके पास भूतों को नियंत्रित करने की विद्या थी। जब अनेरिया कोट वाले विश्वनाथ घाट पर रात को दाह संस्कार के लिए आते थे तो वहां के भूत डरकर दूर खड़े हो जाते थे। और वे अनेरिया कोट वालों को बिल्कुल भी तंग नही करते थे।
तब विश्वनाथ घाट के भूत एक कहावत कहते थे।
“गाया बजाया अनरी कु ऊण चिताया”
अर्थात -खूब गाना गाओ ,बजाओ लेकिन जब अनेरिया गांव वाले आएंगे तो सतर्क रहना ।
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सन्दर्भ :- इस लोक कथा का संदर्भ पंडित गंगदत्त उप्रेती द्वारा सांकलित प्रसिद्ध पुस्तक Proverbs andFolklore of Kumaun and Garhwal से तथा अन्य पत्र पत्रिकाओं व इस क्षेत्र में प्रचारित लोक कथा से लिया गया है। इस पुस्तक वर्णित एक कहावत व किस्से को एक रोचक कथा का स्वरूप देने की कोशिश की गई है।
(Pahadi bhoot ki kahani )