Friday, April 19, 2024
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मंगलकामनाओं से भरे फूलदेई के गढ़वाली और कुमाऊनी गीत।

फूलदेई उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व है। प्रकृति को समर्पित इस प्रसिद्ध त्योहार के दिन छोटे छोटे बच्चे अपने थालियों में या झोले में फूल रख कर ,सबकी देहरी पर “फूलदेई छम्मा देई ” फुलदेई के गीत गाते हैं। लोगो को शुभ आशीष देते है।यह त्यौहार चैत्र संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इसी दिन से हिंदू नववर्ष शुरू होता है। प्रस्तुत लेख में फूलदेई के गीत और पारंपरिक कविताएं व फूलदेई की शुभकामनायें फोटो , का संकलन किया है।

मंगलकामनाओं से भरे फूलदेई के गढ़वाली और कुमाऊनी गीत।

फूलदेई के पारंपरिक कुमाउनी गीत :-

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में बच्चे फूल देई के दिन लोगो की देहरी पर फूल डाल कर आशीष गीत गाते हैं। जो इस प्रकार है। इस गीत के माध्यम से बच्चे घर की देहरी पर फूल डाल कर प्रणाम करते हैं। और घर की खुशहाली और सुख सम्रद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।

फूलदेई छम्मा देई ।

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फूल देई छम्मा देई ।

दैणी ,द्वार भर भकार।

यो देलि कु नमस्कार ।

जतुके दियाला ,उतुके सई ।।

फूलदेई के पारंपरिक गढ़वाली गीत :-

गढ़वाल क्षेत्र में छोटे – छोटे बच्चे , परिवार के लिए शुभता की प्रार्थना करते हुए गाते हैं –

ओ फुलारी घौर।

जै माता का भौंर ।।

क्यौलिदिदी फुलकंडी गौर ।

डंडी बिराली छौ निकोर।।

चला छौरो फुल्लू को।

खांतड़ि मुतड़ी चुल्लू को।।

हम छौरो की द्वार पटेली।

तुम घौरों की जिब कटेली।।

चला फुलारी फूलों को ,एक लोकप्रिय गढ़वाली गीत |

गढ़वाली लोक गायक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी का एक प्रसिद्ध गीत है,चला फुलारी फूलों को । इस गीत पांडवास की टीम ने एक नए रुप में पेश किया था। जिसे लोगों ने काफी सराहा।

चला फुलारी फूलों को

सौदा-सौदा फूल बिरौला।

 हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि फ्योंली लयड़ी

मैं घौर छोड्यावा ।

हे जी घर बौण बौड़ीगे ह्वोलु बालो बसंत

मैं घौर छोड्यावा ।।

हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि

चला फुलारी फूलों को

सौदा-सौदा फूल बिरौला

भौंरों का जूठा फूल ना तोड्यां ।

म्वारर्यूं का जूठा फूल ना लायाँ।

ना उनु धरम्यालु आगास

ना उनि मयालू यखै धरती

अजाण औंखा छिन पैंडा

मनखी अणमील चौतर्फी

छि भै ये निरभै परदेस मा तुम रौणा त रा

मैं घौर छोड्यावा ।।

हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि

फुल फुलदेई दाल चौंल दे

घोघा देवा फ्योंल्या फूल

घोघा फूलदेई की डोली सजली।।

गुड़ परसाद दै दूध भत्यूल

अयूं होलू फुलार हमारा सैंत्यां आर चोलों मा ।

होला चैती पसरू मांगना औजी खोला खोलो मा ।।

ढक्यां मोर द्वार देखिकी फुलारी खौल्यां होला।

फुलदेई के गीत
फुलदेई की शुभकामनाएं

फूलदेई उत्तराखंड का लोक पर्व के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।

फूलदेई त्यौहार की कहानी जानने के लिए यहां क्लिक करें ।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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