Friday, April 19, 2024
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ईजा,को शुभकामनाएं || Mothers day in Uttarakhand

मित्रो मातृदिवस के उपलक्ष्य में टीम देवभूमि दर्शन माँ को समर्पित कुछ लेख, माँ के लिए पहाड़ी कविता |माँ के लिए पहाड़ी गीत | best Wishesh to mother in Pahadi | maa ke liye pahadi status | mothers day in Uttarakhand |माँ के लिये वीडियो स्टेटस | माँ के पहाड़ी स्टेटस| माँ के लिए पहाड़ी शायरी  का संकलन करने की कोशिश की है। हमारे इस लेख को अंत तक देखिए। यदि कोई त्रुटि हो तो हमे हमारे फेसबुक पेज देवभूमि दर्शन पर मैसेज करके बता सकते हैं। जैसा कि आपको पता है। उत्तराखंड के कुमाऊं में माँ को ईजा कहते हैं। और कुमाऊ में माँ को ओइ भी कहते हैं। और गढ़वाली में माँ को ब्वे या ए मा जी कहते हैं।

माँ के लिए शुभकामनाएं पहाड़ी में || Mothers in Uttarakhand

ओ ईजा तू जी रे , जागी रे। खुशी रे।

यो दिन यो बार आपुण प्यार, हमके दिने रै।।

जब तक हिमालय में ह्यू रोल, गंगा ज्यूँ में पाणि रोल ,

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ओ मेरी ईजा तब तक तेरी जै जै कार हो।

त्यर म्यर  मैं च्यलक रिस्त हर जनम, हर बार हो।।

ओइ तू खुशी रे मुस्कराते रे, हँसते रे।

ओइ तू पाती जैसी फूल जाए, दुब जसि बढ़ते रे।।

Mothers day in pahadi
ईजा की फ़ोटो

मेरी खुशी में ओ ईजा ।

मेरी दुख में ओ ईजा ।।

नींद में ओ ईजा ।

भोजन में ओ ईजा।

रिशाण में ओ ईजा,

काम मे ओ ईजा।

भगवानों नाम मे ईजा

मेरी दूनी छू ओ ईजा

म्यर संसार छू मेरी ईजा।

दाज्यू मेरी प्यार छू ओ ईजा।।

Uttarakhand mother day

ईजक प्यार – कठुआ तेरी कमर टूटी जाली बटिक ।

ओह ईजा म्यर भौ के के हो तक।😘🙏

 

वो ईजा ही है, जिसके कारण जीवन में कोई दुख नही होता।

ये दुनिया साथ दे या ना दे, किन्तु  ईजा का दुलार कभी कम नही होता।।

Mothers day in Uttarakhand

ईजा तुमको मैं खोना नही चाहता। तुझे देख रोना नही चाहता।

तुझसे जुड़ी है जिंदगी मेरी, तुझे छोड़ और कुछ पाना नही चाहता।

Mothers day in Pahadi
Eeja ki image

यहां यार साथ छोड़ देता है, प्यार साथ छोड़ देती है।

एक ईजा ही है दाज्यू जो हर कदम पे साथ निभाती है।।

 

जो घर मा इज खुशी हैं ,वा देवो वास हूँ।

जो घर मे ईज के दुख मिलो,ऊ घरक विनाश हूँ।।

 

ईजा मेरी दौलत, ईजा मेरी शान छू।

दुनियक ठुल रहीश छू मैं, किले की ईजा मेरी महान छू।।

 

सपनों में देखनछि कि मि स्वर्ग घुमन रोछि।

जब नींद खुली तो ,देखो मी ईजक खुटा मा से रोछि।।

 

ईजा मेरी मिके थप्पड़ मारी ,खुद डाण मारण भैगए।

ब्याव सबकु ख़्वाई पीवै बे, खुद भूखे सेटण भैगए।।

 

माँ ( ईजा ) के लिए पहाड़ी कविता | Mothers day in Uttarakhand

Mothers day Uttrakhand के अवसर पर हम आपके लिए लेकर आये हैं। उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि डॉ अनिल कार्की जी की कविता , प्रस्तुत लेेेख में हमने ईजा कविता का वीडियो भी प्रस्तुत किया है।

कविता का शीर्षक है  -” ईजा का चेहरा “

मैं जब कविता में रचूँगा

ईजा का चेहरा

नदी लिखूँगा

चिड़ियाँ लिखूँगा

पेड़ लिखूँगा

खेत और नाज की बालियाँ लिखूँगा

पहाड़ के सबसे ऊँचे भीटे पे

मेमने को दूध पिलाती

घास चरती बकरियाँ लिखूँगा

मैं जब कविता में

रचूँगा ईजा

उसे चाहा की कटक लिखूँगा

भाँग का नमक लिखूँगा

वन भँवरों का शहद लिखूँगा

मैं जब ईजा के बारे में लिखूँगा

गुपचुप की गई प्रार्थनाओं के बारे में लिखूँगा

भरभाटी, जू-घर में रखे

अशिका, उचैण

ख्रीज और चावल के दानों के बारे में लिखूँगा

धोती की गाँठ में छिपा के रखे

पैसों के बारे लिखूँगा

ईजा के बारे में लिखते हुए मैं

उदास मगर हँसने वाले चेहरे के बारे में लिखूँगा

खुरदुर कामगार हाथ

चीरे पड़े पैरों के साथ-साथ

मोमबत्ती के लेप के बारे में लिखूँगा

ईजा के बारे में लिखते हुए मैं

काज बारातों के बाद

अपने ससुराल लौटने से पहले

देली पूजती

पिलपिल आँसू ढलकाती

गुपचुप सोचने वाली

बहनों के बारे में लिखूँगा

जब लिखूँगा ईजा के बारे में

उसे सैनिक बेटे की वर्दी पर

सीना उचकाते पिता की तरह नहीं

बल्कि बेरोज़गार बेटे की

तारीफ़ में कहे दो शब्दों की तरह लिखूँगा

ईजा के बारे में लिखते हुए

अपनी बेरोज़गारी लिखूँगा

अपनी बेरोज़गारी लिखते हुए

लुटेरों की सरकार लिखूँगा

सरकार लिखते हुए

नारे लिखूँगा

और एक दिन ईजा

झल्ला के कहेगी

सरकार के घर आग लगे

बजर पड़े।

इस कविता का वीडियो नीचे देखें

निवेदन

उपरोक्त लेख में हमने mothers day in Uttarakhand में मनाने के लिए ,  कुछ ईजा के स्टेटस, ईजा के लिए गीत ,और कुछ लाइन लिखने की कोशिश की है। यदि अच्छे लगे तो शेयर जरूर करें।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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