Wednesday, September 27, 2023
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उत्तराखंड की कोटि बनाल शैली में बने भवन अच्छे अच्छे भूकंप को मात देते हैं।

उत्तराखंड भूकंप के सबसे खतरनाक जोन में आता है। आजकल उत्तराखंड में 8 रियक्टर पैमाने की भूकंप आने की चेतावनी भी दी गई है। क्या आप जानते हैं ? उत्तराखंड की कोटि बनाल शैली ( koti banal architecture style ) ( भवन निर्माण शैली ) उत्तराखण्ड की विशेष वास्तु शैली है। यह शैली भूकंप रोधी शैलियों में सबसे मजबूत और टिकाऊ है। पुरखों ने पहाड़ पर रहने के लिए,नई नई तकनीकों को बनाया था । पहाड़ के अनुकूल होकर जीवन यापन कर भी रहे थे। मगर हम लोगो को लगता है, पहाड़ रहने लायक नहीं है। हम ये इसलिए लगता है कि हम अपने पुरखों की विरासत भूल चुके हैं। हम सब शहर की चका चौध मे खो गए हैं।

कोटि बनाल शैली , उत्तराखण्ड की विशेष वास्तु शैली। यह शैली भूकंप रोधी शैलियों में सबसे मजबूत और टिकाऊ है।
कोटि बनाल शैली,
फोटो साभार -गूगल

कोटि बनाल शैली क्या है ? l What is koti banal ?

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के कुछ क्षेत्रों मे, विशेष पारम्परिक भवन निर्माण शैली का प्रयोग किया जाता रहा है। इसमें मकान बनाने से पहले लकड़ी, के ऊंचे प्लेटफॉर्म का प्रयोग किया जाता है। फिर लकड़ी के विमो का नियमित अंतराल पर प्रयोग किया जाता है। लकड़ियों को इस तरह एक दूसरे मे फसाया जाता है कि वो गिरे ना। यह मकान लगभग पूरा लकड़ी से बनाया जाता है।

लकड़ियों को कुछ विशेष तकनीक से एक दूसरे से जोड़ा होता है। इस कारण बड़े से बड़ा भूकंप इन मकानों का कुछ भी बिगाड नहीं पता। भवन निर्माण की इस शैली को ,कोटि बनाल शैली कहा जाता है। कोटि बनाल शैली ( koti banal architecture style ) में बने भवनों को पंचपुरा भवन कहा जाता है।

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कोटि बनाल शैली , उत्तराखण्ड की विशेष वास्तु शैली। यह शैली भूकंप रोधी शैलियों में सबसे मजबूत और टिकाऊ है।
कोटि बनाल शैली के मकान।
फोटो आभार -Google

इस शैली की विशेषता ( koti banal architecture style benifits )

ये मकान भूकंप रोधी होते है। यह इनकी सबसे बड़ी विशषता है। और ये स्थापत्य कला और विज्ञान के अनोखे नमूने है। 1991 मे भूकंप ने इतनी तबाही मचाई, मगर ये भवन पहाड़ की छाती पर अडिग खड़े रहे। राजगढ़ी, मोरी बड़कोट , पुरोला तथा  टकनोर क्षेत्रों में इस प्रकार के मकान मिलते हैं। कोटि बनाल शैली में देवदार की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। देवदार की लकड़ी लगभग 900साल तक जलवायु को सहन कर सकती है। इसलिए पंचपुरा भवन जलवायु रोधी और भूकंप रोधी दोनो होते हैं।

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