Thursday, November 21, 2024
Homeमंदिरकोटेश्वर गुफा –भस्मासुर से बचने के लिए भोलेनाथ ने इस गुफा में...

कोटेश्वर गुफा –भस्मासुर से बचने के लिए भोलेनाथ ने इस गुफा में ली थी शरण।

उत्तराखंड में कोटेश्वर नामक कई शिवालय हैं। इस लेख में हम रुद्रप्रयाग जिले में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित कोटेश्वर गुफा का वर्णन कर रहें हैं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में जिला मुख्यालय 4 किलोमीटर आगे अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है यह गुफा। यहाँ चट्टान पर 15 -16 फ़ीट लम्बी और 2 -6 फीट ऊँची प्राकृतिक गुफा है। इस गुफा में कई शिवलिंग हैं। प्रमुख मंदिर में हनुमान जी की आदमकद मूर्ति भी है।

कोटेश्वर गुफा का इतिहास –

इस गुफा के बारे में यह मान्यता है कि यहाँ  भगवान् भोलेनाथ ने तपस्या की थी। इस स्थान पर भगवान शिव के एक करोड़ शिवलिंग होने के कारण इस स्थान का नाम कोटेश्वर पडा। 2005  से 2007 के बीच पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में यहाँ पक्की ईंटों से बना भगवान् शिव का मंदिर मिला। इस मंदिर के निर्माण का समय छठी या सातवीं शताब्दी माना गया है। कोटेश्वर मंदिर उत्तराखंड में मंडप ,गर्भगृह तथा अंतराल बनाया गया है। इस मंदिर के चौकोर मंडप की लम्बाई 6.60 *8 .80 मीटर है। कोटेश्वर मंदिर की कुल लम्बाई 13.10 मीटर है।

कोटेश्वर गुफा
कोटेश्वर महादेव उत्तराखंड

मंदिर से जुडी पौराणिक कथाएं –

कोटेश्वर मंदिर के बारे में कई कथाएं  प्रचलित हैं।  एक कथा के अनुसार पांडवो को यहाँ भगवान् शिव तपस्यारत मिले थे। महाभारत युद्ध के बाद पांडव भगवान शिव को मुक्ति के लिए ढूंढ रहें थे। पांडवों को ढूढते -ढूढ़ते भगवन शिव के दर्शन यही हुए थे। इसके अलावा कोटेश्वर महादेव मंदिर से एक और कथा जुडी है। कहते हैं भगवान् शिव ने भस्मासुर नामक असुर को शिव ने यह बरदान दिया कि ,वो जिसके सर में हाथ रख देगा वो भस्म हो जायेगा। अपने वरदान की जाँच के लिए भस्मासुर ने भगवान् शिव के सर में हाथ रखना चाहा।  तब भगवान् शिव ने अपनी जान बचाने के लिए इसी गुफा में शरण ली।

कोटेश्वर गुफा उत्तराखंड से जुडी मान्यता –

इस मंदिर  के बारे में मान्यता है कि  संतान सुख की कामना से , निःसंतान महिलाएं ,शिवरात्रि के दिन थाली में दीप जलाकर उसे दोनों हाथ से थामकर रातभर भगवान शिव की आराधना करती है। शिवरात्रि में कोटेश्वर महादेव  विशेष महत्त्व बताया गया है।

Best Taxi Services in haldwani

कोटेश्वर गुफा

कैसे पहुंचे कोटेश्वर गुफा –

कोटेश्वर गुफा जाने के लिए देहरादून से  सड़क मार्ग से रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय पहुंचकर ,वहां से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है कोटेश्वर गुफा।

इन्हे भी पढ़े –

शिवरात्रि के दिन उत्तराखंड के मुक्तेश्वर मंदिर मे निःसन्तानो को संतान सुख का वर देते हैं भोलेनाथ।

कार्तिक पूर्णिमा पर सोमेश्वर के गणनाथ मंदिर का विशेष महत्व है

हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments