भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान जो बना खास बंगाल टाइगर के लिए
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है।
यह उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले के रामनगर नगर के पास स्थित है। 1936 में बंगाल बाघ की रक्षा के लिए हैंली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था।भारत की स्वतंत्रता के बाद पार्क का नाम रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान रखा गया था लेकिन बाद में 1956 में, इसका नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया – प्रसिद्ध शिकारी ने संरक्षणवादी और लेखक को बदल दिया, जिन्होंने राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
जिम कॉर्बेट ने 1907 से 1939 के बीच उत्तराखंड के कुमाऊं जिले में आदमखोर बन चुके बाघों का शिकार किया था। जिन्होंने इसकी स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाघ परियोजना पहल के तहत आने वाला यह पहला पार्क था।

यहा बंगाल टाइगर के अलावा कई जानवर यहाँ पर शेर, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर, पांडा, काकड़, नीलगाय, घुरल और चीता आदि ‘वन्य प्राणी’ अधिक संख्या में मिलते हैं। इसी तरह इस वन में अजगर तथा कई प्रकार के साँप भी निवास करते हैं। जहाँ इस वन्य पशु विहार में अनेक प्रकार के भयानक जन्तु पाये जाते हैं, वहाँ इस पार्क में लगभग 600 रंग – बिरंगे पक्षियों की जातियाँ भी दिखाई देती हैं। यह देश एक ऐसा अभयारण है जिसमें वन्य जन्तुओं की अनेक जाति – प्रजातियों के साथ पक्षियों का भी आधिक्य रहता है।
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आज विश्व का ऐसा कोई कोना नहीं है, जहाँ के पर्यटक इस पार्क को देखने नहीं आते हों।
रामगंगा नदी पार्क के मध्य में बहती है तथा अपने टेड़े मेडे रास्तों में कुछ गहरे पोखर के साथ तथा पार्क का मुख्य जल स्रोत भी हैं।जो जंगल पार्क का लगभग 53% हिस्सा घेरते हैं, इस क्षेत्र में 10% घास के मैदान हैं । नदी के किनारे बडी हाथी घास पायी जाती है।पार्क में कई हाथी के झुंड रहते हैं, लेकिन वे भोजन की तलाश में आस-पास के जंगलों में जाते रहे हैं।साथ ही इसका नमी से भरा वातावरण बागों का आदर्श निवास स्थान होता है । बाघ के प्राकृतिक भोजन में सांभर, चित्तल, ककाड, हॉग हिरण और जंगली सूअर काफी सारे टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं जबकि भालू मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्र तक सीमित हैं। यहॉ की नदियों में विभिन्न प्रकार की मछलियॉ भी पायी जाती हैं ।

जिम कार्बेट के बारे मे
जिम कार्बेट का पूरा नाम जेम्स एडवर्ड कार्बेट था। इनका जन्म 25 जुलाई 1875 ई. में हुआ था। जिम कार्बेट बचपन से ही बहुत मेहनती और नीडर व्यक्ति थे। उन्होंने कई काम किये। इन्होंने ड्राइवरी, स्टेशन मास्टरी तथा सेना में भी काम किया और अंत में ट्रान्सपोर्ट अधिकारी तक बने परन्तु उन्हें वन्य पशुओं का प्रेम अपनी ओर आकर्षित करता रहा। जब भी उन्हें समय मिलता, वे कुमाऊँ के वनों में घूमने निकल जाते थे। वन्य पशुओं को बहुत प्यार करते। जो वन्य जन्तु मनुष्य का दुश्मन हो जाता – उसे वे मार देते थे।
जिम कार्बेट के पिता ‘मैथ्यू एण्ड सन्स’ नामक भवन बनाने वाली कम्पनी में हिस्सेदारा थे। गर्मियों में जिम कार्बेट का परिवार अयायरपाटा स्थित ‘गुर्नी हाऊस’ में रहता था। वे उस मकान में 1945 तक रहे। ठंडियों में कार्बेट परिवार कालढूँगी वाले अपने मकान में आ जाते थे। 1947 में जिम कार्बेट अपनी बहन के साथ केनिया चले गये थे। वे वहीं बस गये थे। केनिया में ही अस्सी वर्ष की अवस्था में उनका देहान्त हो गया।
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें :-
फील्ड निदेशक,
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व,
ईमेल :- etuctr-forest-uk@nic.in
वेबसाइट :- http://corbettonline.uk.gov.in