काफल एक पहाड़ी फल है। हिमांचल ,उत्तराखंड , नेपाल के हिमालयी भू भाग में पर्याप्त मात्रा में होता है। कई गुणों से भरपूर इस फल को पहाड़ो के फलों का राजा भी कहते हैं।
काफल का वैज्ञानिक नाम मिरिका एस्कुलेंटा है। यह फल उत्तरी भारत और नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र, मुख्यत: हिमालय के तलहटी क्षेत्र में पाया जाने वाला जंगली फल है।
काफल में प्राकृतिक रूप में एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण होते हैं, जिसकी वजह से इसका उपयोग खांसी पुरानी ब्रोंकाइटिंस, अल्सर, एनीमिया, दस्त, कान, नाक दर्द जैसी बीमारियों को ठीक कर सकता है।
पेट से जुडी समस्याओं के लिए काफल का सेवन रामबाण इलाज माना जाता है। मगर अधिक सेवन या बासी काफल के सेवन से नुकसान भी हो सकता है।
काफल एंटी डिप्रेशंट तत्वों से भरा होता है। काफल फल के अलावा सिर दर्द से राहत पाने के लिए पेड़ की छाल का भी उपयोग किया जा सकता है।
आँख संबंधी बीमारियों में काफल बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना आदि।
नाक समस्याओं में काफल का चूर्ण सूंघने पर नाक की समस्याओं में राहत मिलती है। काफल नाक की समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है।
यदि कान में दर्द होता है तो काफल से इस तरह से इलाज करने पर आराम मिलता है। कटफल को तेल में पकाकर-छानकर, 1-2 बूंद कान में डालने से कर्णशूल से आराम मिलता है।
काफल खाने से कफ जनित रोग, वात जनित रोग, दर्द, खाना खाने की इच्छा में कमी, श्वास-कास तथा क्षय रोग यानि टीबी रोग में लाभ होता है।
काफल के तने के छाल को चबाकर दांतों के बीच दबाकर रखने से दांत दर्द दूर होता है। इसके चूर्ण को सिरके में पीसकर दांतों पर रगड़ने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
काफल को दवाई के रूप प्रयोग करे। दवाई के रूप में प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले। यह लेख मात्र जानकारी माध्यम के लिए है।